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48 भ्रष्ट अफसरों को किया नौकरी से बाहर

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48 भ्रष्ट अफसरों को किया नौकरी से बाहर

आठ साल में कई पर गिरी गाज तो कुछ ने मजबूरन समयपूर्व सेवानिवृत्ति ली

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चंडीगढ़।

हरियाणा में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले और भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर हरियाणा सरकार ने सख्त रवैया अपनाया हुआ है। पिछले आठ साल में हरियाणा सरकार ऐसे 48 अधिकारियों व कर्मचारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा है। इनमें कई पर सरकार की चुका गाज गिरी तो कुछ ने मजबूरी में समयपूर्व सेवानिवृत्ति ली है।

वर्ष 2014 से हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में सरकार है। शुरू से ही सरकार भ्रष्टाचार मुक्त एवं पारदर्शी व्यवस्था से भ्रष्टाचार करने वाले या काम करने में लापरवाही बरतने वाले सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है। सरकार द्वारा भ्रष्टाचार में संलिप्त कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कड़े फैसले लिए गए हैं। गौरतलब है कि सरकारी नियमों के मुताबिक ठीक काम न करने
वाले अधिकारी या कर्मचारी 50-55 वर्ष की आयु या 20 वर्ष की नौकरी के बाद नौकरी से हटा सकती है। पहले इन नियमों को कठोरता से लागू नहीं किया। वर्ष 2014 तक जहां सिर्फ 32 लोगों को घर भेजा, वहीं 2014 के बाद मनोहर लाल के नेतृत्व में बनी सरकार ने जनहित में इन नियमों को पूरी कड़ाई से लागू करवाया। इसी कड़ी में 8 वर्षों में 48 सरकारी कर्मियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया चुका है।

ये आए सरकार के निशाने पर

हरियाणा सरकार ने पिछले 8 वर्षों में 50 से 55 साल की उम्र के 48 अधिकारियों- कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है। इनमें असिस्टेंट प्रोफेसर, सब इंस्पेक्टर, हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर, इंडस्ट्रियल एक्सटेंशन ऑफिसर, नायब तहसीलदार, डीआरओ, सुपरवाइजर, मैनेजर, रेजिडेंट ऑडिट ऑफिसर, जूनियर ऑडिटर, असिस्टेंट रजिस्ट्रार, डिप्टी इंजीनियर, क्लर्क, असिस्टेंट, हवलदार, चपरासी, गोडाउन कीपर आदि पदों के अधिकारी और कर्मचारी शामिल है। ये कर्मचारी हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों, बोर्ड और निगमों के कार्यालय में कार्यरत थे। इन अधिकारियों-कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार में शामिल होने, ड्यूटी से अनुपस्थित रहने, नॉन परफॉर्मेंस, लापरवाही बरतने और जाली सर्टिफिकेट बनाने आदि कारणों के चलते कार्रवाई की गई है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री, मनोहर लाल ने कहा की
सेवा रिकॉर्ड की समीक्षा करने के बाद ईमानदारी
से काम करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया जाता है। वहीं, गैर प्रदर्शनकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाती है। सरकार का मकसद शासन प्रणाली को पहले से और बेहतर बनाने का है। प्रदेश सरकार न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन के मूल सिद्धांत पर आगे बढ़ रही है। ऐसी व्यवस्था में भ्रष्टाचार की कतई जगह नहीं है।

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