-जुनैद और नासिर की मौत के बाद
-15 मासूम बच्चे और परिवार लावारिस रह गया।
-राजस्थान सरकार के रवैये से भी खफा है पीडित परिवार
-आर्थिक मदद और नौकरी में भेदभाव का लगाया आरोप
फोटो-जुनैद और उसके भाई जाफर के बच्चे
फोटो मुतक जुनैद और नासिर की पत्नी विलाप करती हुई
फोटो- 6 दिन से इंसाफ के लिए धरने पर बैठे ग्रामीण
यूनुस अलवी
मेवात/घाटमीका
जुनैद और नासिर की मौत से पूरे परिवार के हालत बिगड गए हैं। परिवार जहां आर्थिक तंगी में आ गया है वहीं 15 मासूम बच्चे और उनका पूरा परिवार लावारिस हो गया है। परिवार में कोई खाने कमाने लायक नहीं है। ऐसे में पीड़ित परिवार सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है।
मृतक नासिर के मौसी के लड़का जाबिर ने बताया कि मृतक जुनैद और जाफर दो भाई हैं। जाफर मंदबुद्धि है। 6 बच्चे जुनैद और सात बच्चे जाफर के हैं। सभी 13 बच्चों की जिम्मेदारी जुनैद के कंधों पर ही थी। जुनैद ने अपने भाई जाफर की दो लड़कियों की मंगनी की हुई थी जिनकी ईद के बाद या करीब अप्रैल माह में शादी करनी थी। वहीं दूसरी तरफ मृतक नासिर तीन भाई है। जिनमें सबसे बड़ा हामिद, नासिर और मामूर है। नासिर के कई बच्चा नहीं था। इसलिए उसने अपने दोनों भाईयों के एक-एक बच्चा को गोद ले रखा था।
उनका कहना है कि जुनैद और नासिर की मौत से जहां 15 बच्चों और उनके परिवार पूरी तरह सड़क पर आकर लावारिस हो गये हैं। उनका कहना है कि घर कच्चे केवल रहने लायक जमीन है। कोई खेत नहीं है। वे अपनी दुकान और मजदूरी करके बच्चों को पाल रहे थे। उनका कहना है नासिर और जुनैद का गोतस्करी आदि से कोई वास्ता नहीं था। वे अपनी मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण कर रहे थे।
राजस्थान सरकार कर रही है दोगला व्यवहार
सरकार जुनैद-नासिर और कन्हैया लाल में फर्क कर रही है
पीडित परिवार का कहना है कि उदयपुर के टेलर कन्हैया लाल की हत्या और जुनैद-नासिर की हत्या में फर्क कर रही है। कन्हैया लाल को चाकूओं से मारा जबकि जुनैद-नासिर को जिंदा जलाकर मारा गया है। पीडित परिवार का कहना है मुख्यमंत्री अषोक गहलोत कन्हैया लाल के घर जाकर पीडित परिवार को जहां सांत्वना देते और एक करोड की आर्थिक मदद दो सरकारी पक्की नौकरी देते है। वहीं एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री अलवर आये वे पीडित परिवार से मिलने 40 किलोमीटर दूर तक नहीं आ सके। इसके अलावा आर्थिक मदद में भी उनके साथ दोगला व्यवहार किया जा रहा है। कामा से विधायक एंव प्रदेष की राज्यमंत्री जाहिदा खान गांव में आती हैं। चिरंजीवी योजना के तहत दस लाख, एक दूसरी योजना से पांच लाख और अपने निजि कोष से पांच-पांच लाख की आर्थिक मदद और दो बच्चों को फोर्थ क्लास की पक्की नोकरी की बात कर गई थी लेकिन अब वे मंत्री जी इससे मुकर गई है।
गांव के लोगों का कहना है कि पीडित परिवार को इंसाफ दिलाने और हत्यारों को फांसी की सजा होने तक वे गांव के कब्रिस्तान में अनिष्चितकालीन धरने पर बेठे हुए है। उनका कहना है कि जब तक उन्हें सम्मान के साथ इंसाफ नहीं मिलता तब तक घरना जारी रहेगा।
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