शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को लगातार हिंसा से कुचल रही है सरकार: आफताब अहमद
Younus Alvi
Nuh
हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के उप नेता चौधरी आफताब अहमद ने प्रदेश की भाजपा जजपा सरकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार किसी भी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के आगे इतना भयभीत हो जाती है कि उनकी बात तक नहीं सुनती और अलोकतांत्रिक तरीके से उस विरोध को दबाने का काम करती है।
आफताब अहमद ने कहा कि
लोकतंत्र में सभी को शांतिपूर्ण
आंदोलन और विरोध करने का अधिकार है और ये अधिकार बेहद जरूरी है। यह लोगों के लिए मौजूदा स्थितियों पर असंतोष व्यक्त करने और सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन की मांगों पर जोर देने का एक साधन है।
विधायक आफताब अहमद ने कहा कि
विरोध से परिवर्तन होता है और विश्व के इतिहास में सरकारी नीतियों और लोगों के जीवन में ठोस परिवर्तन लाने के लिए लंबे समय तक लगातार विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जो कामयाब साबित हुए हैं। खुद भारत ने पूरे विश्व को महात्मा गांधी के रूप में अहिंसक विरोध और प्रतिरोध के इतिहास के सबसे प्रसिद्ध एक शख्सियत दी थी, भारत की आज़ादी में भी विरोध प्रदर्शनों का अहम योगदान रहा है।
विधायक आफताब अहमद ने कहा कि पहले हरियाणा में किसानों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को सरकार ने कडा बल प्रयोग करके कुचला था, फिर छात्रों के विरोध को कुचला गया, इसके बाद कर्मचारियों के शांतिपूर्ण विरोध को कुचला गया और अब हाल ही में सरपंचों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर लाठियां भांजी गई।
बता दें कि सरपंच पंचकुला में सरकार से ई टेंडरिंग का विरोध कर रहे थे तो उन पर जबरदस्त लाठीचार्ज किया गया।
इसी दौरान आफताब अहमद ने हाल ही में मेवात में सरकार द्वारा नासिर जुनैद जघन्य हत्याकांड में न्याय की मांग बुलंद होने पर इंटरनेट तीन दिन बंद करने के फैसले की मजमम्त करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे 600 लोगों पर पहले मुकदमा दर्ज किया जाता है फिर न्याय दने के बजाय न्याय की आवाज को दबाने के लिए इंटरनेट ही बंद कर दिया जाता है।
विधायक आफताब अहमद ने कहा कि सरकार की इसी लोकतंत्र के विपरीत कार्य शैली की वजह से प्रदेश की कानून व्यवस्था बद से बदतर है। हाल ही में खुद केन्द्र सरकार की रिपोर्ट में हरियाणा नागरिक सुरक्षा के मामले में 33 अंको के साथ अंतिम पायदान पर रहा जो सरकार की कार्य शैली की पोल खोलता है।
आफताब अहमद ने कहा कि प्रदेश सरकार को अपनी कार्य शैली को सुधारकर लोगों की आवाज व भावनाओं को कुचलने की बजाए सुनना और सुलझाना चाहिए।
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