देश के अति पिछड़े जिलों में शामिल मेवात में स्वास्थ्य सेवाएं में खास बदलावा नहीं हुआ
-नियम के अनुसार जिले में 16 सीएचसी, 53 पीएचसी और 320 सब सेंटर होने चाहिए
-जिले में फिलहाल 5 सीएसी 22 पीएससी 111 सब सेंटर कार्यत हैं।
फोटो-अल आफिया जनरल अस्पताल मांडीखेड़ा मेवात
यूनुस अलवी
मेवात/हरियाणा
निति आयोग द्वारा वर्ष 2018 में जारी सूचि के अनुसार नूंह जिला जहां देष के 112 अति पिछड़े जिलों में षामिल है। वहीं हरियाणा का इकलौता पिछड़ा जिला है। लोगों को उम्मीद थी कि जब खुद देष के निति आयोग ने माना है कि मेवात देष के सबसे पिछडे़ जिलो में षामिल है तो यहां विकास में बदलाव आऐगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका। अगर देखा जाए तो विभागीय आंकड़ों में बदलाव जरूर होता है पर धरातल में कोई बदलाव नहीं देखा जा रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नूंह जिला की करीब 16 लाख आबादी है। स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार 16 लाख की आबादी पर 16 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), 53 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और 320 उप स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है। नूंह जिला में फिलहाल 5 सीएसी 22 पीएससी 111 सब सेंटर ही कार्यरत हैं। इनमें पिनगवां और मोहम्मदपुर अहीर को सीएसी का दर्जा तो दे दिया लेकिन अभी तक प्रयाप्त डॉक्टर भी नियुक्त नहीं किए है। जबकि पिनगवां सहित अन्य अस्पतालों के भवन का निर्माण कार्य 2010 से चल रहा था। जो 2012 में पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन पिनगवां सीएचसी का उद्घाटन तक नहीं हो सका है। और यह भवन जर्जर हो रहा है।
आपको बता दे कि एक लाख की आबादी पर एक सीएचसी, 30 हजार की आबादी पर एक पीएचसी और पांच हजार की आबादी पर एस सब सेंटर होना चाहिए लेकिन मेवात में ऐसा नहीं है। अगर नूंह जिला में स्वास्थ्य विभाग के नियम के अनुसार अस्पताल और सब सेंटरों का निर्माण करा दिया जाए तो लोगों को घर पर ही स्वास्थ्य सेवाओं का फायदा मिल सकता है। जब अस्पताल बनेगें तो डाक्टर भी आऐगें।
जिला के ऐडवोकेट गुलाम नबी आजाद, मकसूद षिकरावा और कांग्रेस युवा जिला अध्यक्ष मुबीन खान तेडिया, तौफीक बीसरू का कहना है कि भले ही नूूह जिला को देष के सबसे पिछड़े जिलों में षामिल किया गया है लेकिन जैसे दावा सरकार ने 2018 में किए थे कि अब मेवात की कायाकल्प होगी। लेकिन यहां कोई बदलावा नजर नहीं आ रहा है। आज भी नूंह जिला के लोगों को अपने इलाज के लिए अलवर, गुरूग्राम और पलवल जाना पड़ रहा है।
रजिया बानो, नेहा खान और मोहम्मदी बेगम का कहना है कि नूंह जिला में सात लाख से अधिक महिलाएं हैं लेकिन महिला डाक्टर चंद है। यहां पर 20 से अधिक महिला डॉक्टर होनी चाहिए क्योंकि बहुत से ऐसी बीमारी और परेशानी होती हैं जिन्हें महिलाएं पुरुष डॉक्टर को नहीं बता सकती है। उनका कहना है कि नूंह जिला के अस्पतालों में पर्याप्त इलाज नहीं होगा यहां से अधिकतर मरीजों को दिल्ली रेफर कर दिया जाता है। जिससे लोगों को आर्थिक तौर पर भारी परेशानी उठानी पडती है।
स्वास्थ्य विभाग ने 148 उप स्वास्थ्य केंद्र बनाने को मांगी थी जमीन
148 उप स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण अधर में
नूंह स्वास्थ्य विभाग ने करीब दो साल पहले जिला में 148 नए उप स्वास्थ्य केंद्र बनाये जाने के लिए जमीन उपलब्ध कराने के लिये स्वास्थ्य विभाग के पंचायत विभाग से आग्रह किया था। नये उपस्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण के लिए 148 में 61 ग्राम पंचायत पहले ही अपना प्रस्ताव दे चुकी है। लेकिन 87 ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव पंचायतों से चार्ज लेने के बाद यह मामला अटक गया था। एक उप स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण पर करीब 45 लाख रूपये की लागत आयेगी। जिले में 148 नए उप स्वास्थ्य केंद्र बनने के बाद जिले में उप स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 259 हो जाऐगी।
क्या कहते हैं सीएमओ
नूंह जिला के सीएमओ डॉक्टर सर्वजीत थापर का कहना है कि जिले में नए अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र आदि बनाने बारे सरकार से समय समय पर मांग की जाती रही है। जिलें जल्द 148 और सब सेंटर बन जाऐगें। जिन पंचायतों ने जमीन के प्रस्ताव नहीं दिए हैं, उनसे दुबारा अग्राह किया जाऐगा। उनका कहना है कि सरकार की ओर से जिला में काफी डॉक्टर और अन्य कर्मचारी भेजे गए है। हाल ही में मेवात में करीब 15 डॉक्टर ज्वाइन कर चुके हैं।
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