काफी हंगामा और जद्दो जेहद आखिरकार फरीदाबाद पुलिस ने सैकूल खान की मौत के मामले में एक इंस्पेक्टर समेत अन्य पुलिस कर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज, लाइन हाजिर कर दिया है।
यूनुस अलवी मेवात,
एनआईटी फरीदाबाद पुलिस की हिरासत में सैकूल खान की मौत मामले में ओल्ड थाना पुलिस ने मृतक के भाई की शिकायत पर इंस्पेक्टर बसंत कुमार, सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार समेत पांच पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है। पुलिस आयुक्त ने सभी पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है। वही सोमवार शाम डॉक्टरों के बोर्ड से मृतक शेकूल का पोस्टमार्टम किया गया। मामले की जांच की जा रही है।
बता दें कि राजस्थान के अलवर जिला गांव टीकरी निवासी सैकुल खान को साइबर थाना एनआईटी की टीम ने 20 जुलाई को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे से गिरफ्तार किया था। इसके अलावा नरेंद्र, धर्मेंद्र, साबिर व अली मोहम्मद को यूपी के टप्पल से साइबर ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोपियों को 21 जुलाई को अदालत में पेश किया। अदालत ने सारे फैक्ट चेक करने के बाद सभी आरोपियों का 10 दिन का पुलिस रिमांड मंजूर किया था। पुलिस अधिकारियों के अनुसार 21 जुलाई को आरोपी सैकुल ने कमजोरी महसूस होने व सांस लेने में दिक्कत की शिकायत की। उसे बीके हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने दवाइयां दी। 22 जुलाई को सैकुल ने फिर कमजोरी होने की बात पुलिस को बताई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आरोपी सैकुल को फिर बीके हॉस्पिटल लेकर गए और इलाज के बाद उसे फिर से वापस थाना ले आए। रविवार सुबह सैकुल को फिर से अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
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मृतक सैकुल के भाई साबिर ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा है कि उनके भाई को सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार की टीम ने सिविल ड्रेस में 19 जुलाई की रात दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के चिडवाई गांव के पास से उठाया था। उसके साथ मारपीट करते हुए फरीदाबाद तक लाए थे। 20 जुलाई को साइबर थाने से फोन आया कि तुम्हारे भाई को गोविंद के नाम पर गलती से उठा लिया है। ऐसे में भाई को ले जाने को कहा। साथ ही गोबिंद को लाने को कहा। साबिर का ये भी आरोप है कि 20 जुलाई को वह अपने साथ तारीफ नामक व्यक्ति को साथ लेकर साइबर सेल सेक्टर 19 में पहुंचे।
उन्होंने आरोप लगाया की पुलिसकर्मियों ने सैकुल को छोड़ने और केस को रफा-दफा करने के लिए एक लाख 65 हजार रुपए भी मांग की। 21 जुलाई को एक लाख 65 हजार रुपए गोविंद के खाते से निकालकर सीआईए पलवल के इंस्पेक्टर भजनलाल की मौजूदगी में सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार को दिए। इसके बाद राजेश ने कहा कि सैकुल के साथ कुछ ज्यादा मारपीट हो गई है। उसे ठीक होने के बाद छोड़ देंगे। उसके बाद 23 जुलाई को सैकुल के मौत की खबर मिली है।
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पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि परिजनों की शिकायत पर इंस्पेक्टर बसंत कुमार, सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार समेत अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस आयुक्त ने आरोपी पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट आकृति वर्मा की मौजूदगी में वीडियोग्राफी करवाके डॉक्टरों के बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम कराया गया है।
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पुलिस पर हत्या का मामला दर्ज करवाने के लिए दिनभर होता रहा हंगामा, विधायक आफताब अहमद लोगो के साथ बैठ गए धरने पर।
आपको बता दे की फरीदाबाद के साइबर थाना एनआईटी पुलिस की कस्टडी में सैकूल खान की मौत मामले को लेकर बीके अस्पताल के पास सोमवार सुबह से शाम तक धरना-प्रदर्शन चलता रहा। मौत की खबर सुनकर नूंह के विधायक आफताब अहमद, बसपा नेता जावेद अहमद, रमजान चौधरी और अलवर मेव पंचायत के सदर शेर मोहम्मद सहित सैंकड़ों समर्थक और मृतक के परिजन बीके अस्पताल पहुंच गए। नेता, मृतक के परिजनों के साथ अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए।
दिनभर चले हाई-वोल्टेज ड्रामा में परिजन समेत सभी पोस्टमार्टम से पहले आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग पर अड़े रहे। इस दौरान अफरातफरी का माहौल भी रहा। परिजन पुलिस पर भष्ट्राचार का भी आरोप लगा रहे थे। उनका कहना था कि पैसों के लिए सैकूल की हत्या की गई। आरोपी पुलिसकर्मी ने उनसे काफी पैसे भी ऐंठ लिए। उधर, लोगों की नाराजगी को देखकर जिला स्थित अधिकांश थानों की पुलिस को बीके अस्पताल के बाहर तैनाती की गई थी। बीके अस्पताल को सुबह से शाम तक पुलिस छाबनी में तब्दील कर दिया था। पुलिस ने सुरक्षा के लिहाज से बीके अस्पताल की ओर जाने वाले रास्तों पर रस्सी और बैरिकेडिंग कर बंद कर दिया था। काफी पूछताछ के बाद पैदल चलने वालों को भी बीके की ओर जाने दिया जा रहा था। वाहन चालकों से काफी पूछताछ की जा रही थी। कईयों को वापस दूसरे रास्ते पर भेज दिया जा रहा था। इस दौरान बीके अस्पताल उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों को भी काफी परेशानी हुई। इमरजेंसी से लेकर वार्ड में पहुंचने वाले मरीज और तीमारदार मिन्नतें करते नजर आए। इससे बीके चौक पर चारों तरफ दिनभर जाम की स्थिति बनी रही। अपने जरूरी कार्य के लिए जाने वाले लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी।
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राजस्थान और हरियाणा के जुटे नेता
सैकूल की मौत की जानकारी पाकर राजस्थान और हरियाणा के नेताओं का बीके अस्पताल के बाहर जमावड़ा रहा। इसमें नूंह के विधायक व उनके समर्थक तथा अलवर से मृतक के काफी हमदर्द शामिल रहे। सभी पुलिस पर हत्या का आरोप लगा रहे थे।
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डीसीपी के आश्वासन के बाद लोग मानें
दोपहर करीब दो बजे डीसीपी एनआईट नरेन्द्र कादियान धरने पर बैठे विधायक व सैकूल के परिजन के बीच बातचीत करने पहुंचे। उन्होंने मामले की मजिस्ट्रेट जांच चलने की बातें बताई। साथ ही कहा कि मजीस्ट्रेटियल जांच में जो रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी। इसपर लोग नहीं मानें। वह पोस्टमार्टम से पहले पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने पर अड़े रहे। मामला दर्ज करने के आश्वासन के बाद लोग मानें और पोस्टमार्टम कराने को तैयार हुए।
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सब-इंस्पेक्टर की तैयारी कर रहा था सैकूल
धरने पर बैठे परिजनों ने बताया कि सैकूल बीए तक पढ़ाई की थी। उसकी शादी तीन महीने पहले हुई थी। वह राजस्थान पुलिस के लिए सब-इंस्पेक्टर की तैयारी कर रहा था। उसने पुलिस भर्ती की परीक्षा भी दी और पास भी हुआ लेकिन इसका इंटरव्यू क्लियर नही हो सका। वह अलवर रहकर फिर से कड़ी तयारी कर रहा था। वह बीमार नहीं था। वह काफी स्वस्थ था। हालांकि पुलिस सैकूल की मौत को बीमारी से होना बता रहे हैं।
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सीएलपी नेता चौधरी आफताब अहमद का कहना हे की पुलिस ने सैकूल की हत्या की है। इससे पहले भी मेवात के कई लोगो की हत्या कर चुके हैं। पुलिस ने शव ग्रह के पास इतनी इतनी फोर्स लगा दी जेसे कोई आतंकी हो। हमलोगों को शवगृह तक भी नहीं जाने दिया गया। पुलिस मनमानी कर रही थी। आफताब का कहना हे आरोपी पुलिसकर्मियों का लाइन हाजिर से काम नहीं चलेगा बल्कि उनको तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। तभी मृतक के परिवार वालों को इंसाफ मिल सकेगा।
खबर हक टीवी के लिए यूनुस अल्वी की रिपोर्ट।
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