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नूह बुलडोज़र मामला : हाई कोर्ट में सुनवाई 18 अगस्त तक के लिए स्थगित 

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नूह बुलडोज़र मामला : हाई कोर्ट में सुनवाई 18 अगस्त तक के लिए स्थगित 

हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया था

नूंह हिंसा के बाद प्रशासन ने करीब 700 से अधिक निर्माणों को बुलडोजर से ढहा दिया था।

 

यूनुस अलवी मेवात:

 

नूह में बुलडोज़र अभियान के विरुद्ध चंडीगढ़ हाई कोर्ट में आज जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस जगमोहन बंसल की खंड पीठ के समक्ष सुनवाई हुई. जस्टिस अरुण पल्ली ने कहा कि चैप्टर 2 रूल 9 के तहत जब किसी मामले पर अदालत स्वतः संज्ञान लेती है तो उस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है जिस पर उनके आदेश पर केस को रोस्टर के अनुसार 3 दिन में किसी बेंच को विचारार्थ भेजा जाता है लेकिन आज चीफ जस्टिस की बेंच नहीं है इसलिए केस की सुनवाई अगले शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

 

गोरतलब है की

पंजाब एवम हरियाणा हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था की ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ और ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी आज की खबर से पता चलता है कि दो जिलों यानी नूंह और गुरुग्राम में तोड़फोड़ की कार्रवाई की जा रही है। असामाजिक गतिविधियों में शामिल होकर अवैध निर्माण किया था। उक्त समाचार से पता चलता है कि अस्पताल के बगल में व्यावसायिक भवन, आवासीय भवन, रेस्तरां के रूप में लंबे समय से मौजूद इमारतों को गिरा दिया गया है। बुलडोजर। समाचार में यह भी कहा गया है कि गृह मंत्री ने स्वयं कहा है कि बुलडोजर इलाज (उपचार) का हिस्सा है क्योंकि सरकार सांप्रदायिक हिंसा की जांच कर रही है। उक्त समाचार को तत्काल संदर्भ के लिए फ़ाइल के साथ संलग्न किया जा रहा है। लॉर्ड एक्टन ने कहा है “शक्ति” भ्रष्ट करने की प्रवृत्ति रखती है और पूर्ण सत्ता पूर्णतया भ्रष्ट कर देती है”।

 

ऐसी परिस्थितियों में, हम राज्य को नोटिस जारी करने के लिए बाध्य हैं क्योंकि यह हमारे संज्ञान में आया है कि हरियाणा राज्य बल प्रयोग कर रहा है और इमारतों को इस तथ्य के कारण ध्वस्त कर रहा है कि कुछ दंगे हुए हैं।

 

गुरुग्राम और नूंह में. जाहिर है, बिना किसी विध्वंस आदेश और नोटिस के, कानून और व्यवस्था की समस्या का इस्तेमाल कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किए बिना इमारतों को गिराने के लिए किया जा रहा है। मुद्दा यह भी उठता है कि क्या कानून-व्यवस्था की समस्या की आड़ में किसी विशेष समुदाय की इमारतों को गिराया जा रहा है और राज्य द्वारा जातीय सफाए की कवायद की जा रही है।

 

अदालत ने कहा की हमारा मानना है कि भारत का संविधान इस देश के नागरिकों की रक्षा करता है और कानून में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई भी विध्वंस नहीं किया जा सकता है। तदनुसार, हम हरियाणा राज्य को एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश जारी करते हैं कि पिछले दो सप्ताह में नूंह और गुरुग्राम दोनों में कितनी इमारतें ध्वस्त की गई हैं और क्या विध्वंस से पहले कोई नोटिस जारी किया गया था। यदि आज ऐसा कोई विध्वंस किया जाना है तो कानून के अनुसार प्रक्रिया का पालन न होने पर इसे रोका जाना चाहिए।

इसके बाद अदालत ने आज यानी 11 अगस्त 2023 को सरकार को जवाब देने के आदेश पारित किए थे।

 

 

खबर हक टीवी के लिए यूनुस अल्वी की रिपोर्ट

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