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गांधी का मेवातियों पर अहसान, उजड़ने और पाकिस्तान में मुहाजिर कहने से बचा लिया

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आज है मेवात दिवस, 

गांधी का मेवातियों पर अहसान, उजड़ने और पाकिस्तान में मुहाजिर कहने से बचा लिया।

19 दिसंबर को गांधी के आश्वासन के बाद लाखों मेवाती पाकिस्तान जाने से रुके थे।

 

फोटो दिल्ली में मेवात दिवस की तैयारी में मेवात विकास सभा के सदस्य

 

यूनुस अलवी

नूंह (मेवात)

मेवात के इतिहास में 19 दिसंबर का खास महत्व है। देश के बटवारे के बाद मेवात के मुसलमान इस दिन पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन महात्मा और मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह के आश्वासन के बाद पाकिस्तान जाने से लाखों मुसलमान रुक गये थे। महात्मा गांधी ने मेवातियों की जान माल की हिफाजत करने तथा पूरा मान सम्मान देने के वादे के बाद जहां लाखों मुसलमान उजडने से बचे वहीं पाकिस्तान जाने का भी इरादा बदल दिया था।

स्वतंत्रता मिलने के बाद देश पूर्ण रूप से आजाद तो हो गया दुर्भाग्य से देश का बटवारा भी हुआ। उस समय मेवात के मुसलमानों को जबरदस्ती पाकिस्तान भेजा जा रहा था। जबकि हरियाणा और राजस्थान के मुसलमान पाकिस्तान जाने के लिए कोई राजी नहीं थे। हरियाणा के मेवात, गुड़गांव और फरीदाबाद पर अंग्रेजों और राजस्थान के अलवर, भरतपुर पर राजाओं का राज था। जहां इस बंटवारे से देश में खून की होली खेली जा रही थी वहीं मेवात भी इससे अछूता नहीं था।

मेवातियों के साथ हो रहे अत्याचार और जबरदस्ती पाकिस्तान भेजने के मामले को लेकर महान स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय अब्दुल हई, हिम्मत खां अन्य मुस्लिम नेताओं के साथ महात्मा गांधी से मिले और मेवात आने का न्योता दिया। मेवातियों के देश प्रेम को देखते हुऐ महात्मा गांधी 19 दिसंबर 1947 को मेवात के गांव घासेडा पहुचें। उनके साथ पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपी चंद भार्गव, रणबीर सिंह हुड्डा सहित काफी नेशनल नेता साथ थे।

महात्मा गांधी ने 19 दिसंबर 1947 को गांव घासेडा में लाखों मेवाती लोगों के बीच अपना ऐतिहासिक भाषण दिया। उस समय गांधी जी ने कहा था कि आज मेरे कहने में वह शक्ति नहीं रही जो पहले हुआ करती थी। मगर मेरे कहने में पहले जैसा प्रभाव होता तो आज एक भी मुसलमान भारतीय संघ को छोड़कर जाने की जरूरत नहीं करता न ही किसी हिंदू-सिख को पाकिस्तान में अपना घर बार छोड़कर भारतीय संघ में शरण लेने की जरूरत पडती।

महात्मा गांधी ने अपने संबोधन में दुख प्रकट करते हुए कहा था कि यहां जो कुछ हो रहा है उसे सुनकर मेरा दिल रंज से भर जाता है। चारों ओर आगजनी, लूटपाअ, कत्लेआम, जबरदस्ती धर्म परिवर्तन और औरतों का अपहरण मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे को तोडना एक पागलपन है, इसे रोका नहीं गया तो दोनों जातियों का सर्वनाश हो जाऐगा।

मेवात के इतिहास पर करीब दस किताब लिख चुके सिद्दीक मेव ने बताया कि गांधी जी ने अपने भाषण में मुस्लिम प्रतिनिधियों द्वारा दिये गये शिकायत पत्र की प्रति लाखों लोगों को पढकर सुनाई और उन्होने मेवातियों को विश्वास दिलाया कि उन्हें पूरा मान सम्मान दिलाया जाएगा अगर किसी सरकारी अधिकारी ने मेवातियों के साथ कोई अत्याचार किया तो सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी। गांधी जी ने कहा कि मेरे शब्द आपके दुख में थोड़ा ढांढस बधां सके तो मुझे खुशी होगी। उन्होंने अलवर और भरतपुर की रियासतों से निकाले गए मुसलमानों पर दुख प्रकट किया।

गांधी जी ने अपने भाषण में कहा भारत में एक समय आयेगा जब सारी नफरत जमीन में दफना दी जाएगी और फिर अमन चैन से दोनों समाज रह सकेंगें। गांधी के आश्वासन और विचारों का मुसलमानों पर इतना असर हुआ की उन्होंने पाकिस्तान जाने का अपना इरादा बदल दिया था।

मेवात के फजरुदीन बेसर, दीन मोहम्मद का कहना है कि गांधी जी के सुरक्षा का आश्वासन देने के बाद यहां के मुसलमान रूक गये थे। अगर उस समय नहीं रूकते तो हरियाणा और राजस्थान में एक भी मुसलमान नहीं होता। मुसलमानों पर गांधी जी का सबसे बडा अहसान ने जिन्होने पाकिस्तान जाने से रोका आज हिंदुस्तान में मुसलमान अमन और सम्मान की जिंदगी जी रहे हैं।

आपको बता दें मुख्यमंत्री रहते भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इसी वजह से 2 अक्तुबर 2007 को घासेडा का नाम गांधी ग्राम घासेडा रखकर आर्दश गांव घोषित कर करीब 10 करोड रूपये विकास कार्यों के लिये जारी किये थे। मेवाती हर साल 19 दिसंबर को मेवात दिवस के तौर पर मनाते हैं लेकिन इस बार मेवात दिवस दिल्ली में 19 दिसंबर को म

नाया जा रहा है।

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