–छत्रपति शिवाजी को औरंगजेब की आगरा जेल से मेव बहादुर छुड़ाकर लाए थे
-’राजा हसन खां मेवाती’ वतनपरस्त सोच का उदाहरण है
– मेव आज भी भगवान राम, कृष्ण में आस्था रखते हैं।
–मुगल और अंग्रेज, मेवातियों (हिन्दू-मुस्लिम) को ’लुटेरे’ कहते थे।
फोटो-मेवाती मेव
फोटो- इतिहासकार सद्दीक मेव
फोटो- सीएम के मीडिया सलाहकार मुकेश वशिष्ठ
यूनुस अलवी
नूंह (मेवात)
मेवात हिंदू-मुस्लिम भाईचारा की एक मिसाल है। यहां कभी धार्मिक कट्टरता के चलते झगडे नहीं हुए। यहां तक की जब बाबरी मस्जिद के शहीद किए जाने पर पूरा देश जल रहा था और 1947 में देश बटवारे के समय चारों तरफ लोग एक दूसरे के खून के प्यासे थे। उस समय भी मेवात पूरी तरह शांत था। यहां भी कोई दंगा नहीं हुआ। अंग्रेजों और मुगलों ने हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर मेवात को बांटने की नाकाम कोशिश की। लेकिन, 600-700 साल बाद भी मुगल और अंग्रेज अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाए। क्योंकि यहां रहने वाला अधिकांश मेव मुसलमान, अपने आपको सूर्य और चंद्रवंशी मानते हुए भगवान राम, कृष्ण के बंशज मानते है। मेवात का प्यार, तहजीब और दावत अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा यहां अनोखी है।
1947 में बंटवारे के समय जब भारत का मुसलमान पाकिस्तान जा रहे थे, तब मेवात के मेवों की वतनपरस्ती ने हिलोरे मारे और उन्होंने पाकिस्तान जाने से मना कर दिया था, तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 19 दिसंबर, 1947 को घासेड़ा (नूंह) पहुंचकर मेवों को पाकिस्तान जाने से रोका था। अंग्रेजों और मुगलों की ताबेदारी न करने वाली मेवाती कौम को उन्होने ‘जरायम पेशा जाति (अपराध करके आजीविका चलाने वाली जाति)’ करार दिया था। जो लक्ब 1947 तक मेवों में साथ लगा रहा।
क्या कहते हैं इतिहासकार सद्दीक मेव—
मेवात के इतिहास पर करीब दस किताब लिख चुके सद्दीक मेव का कहना है कि मेवातियों ने मुगल और अंग्रेजों से कभी वतनपरस्ती के बदले सौदा नहीं किया। ये कौम हमेशा ही देश की खातिर उनसे लड़ती रही। मुगलों और अंग्रेजों को हमेशा ही एक विदेशी हमलावर माना। दिल्ली के नजदीक बसी मेवात होने के नाते अंग्रेज और मुगलों का सबसे ज्यादा नुकसान मेवातियों ने ही किया था। मशहूर कहावत है मेवों के डर से शाम को ही दिल्ली के दरवाजे बंद कर दिए जाते थे। इसलिए अंग्रेजों ने मेवातियों को एक जरायम पेशा कॉम करार दिया था। आज भी मेव अपने अपने आपको सूर्य और चंद्रवंशी मानते है। हिन्दू-मुस्लिम के 52 पालों में से 12 पाल मेव मुस्लिमों की है। हिंदुओं के अधिकतर गोत्र जैसे डागर, सहरावत, तोमर, आदि मेवों में मौजूद है। उन्होने कहा कि जब औरंगजेब ने शिवाजी को आगरा की जेल में बंद कर दिया था तब मेव समाज के बहादुर ही उनको जेल से निकालकर मेवात लाए बाद में उनको महाराष्ट्र सही सलामत भेजा था।
क्या कहते हैं सीएम के मीडिया सलाहकार
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मीडिया सलाहकार मुकेश वशिष्ठ का कहना है कि मेवातियों की वतनपरस्ती पर कोई उंगली नहीं उठा सकता है। मेवातियों ने हमेशा ही भारत को अपना वतन माना है। यही कारण है कि मेवातियों ने बटवारे के समय पाकिस्तान जाने से साफ मना कर दिया था। 19 दिसंबर 1947 को महात्मां गांधी ने जो मेवातियों से घासेड़ा गांव में वादा किया था। कांग्रंेस सहित पिछली सरकारों ने वो वादा कभी पूरा नहीं किया। मेव मुसलमानों को कांग्रेस पार्टी ने वोट-बैंक मानकर खूब वोट ली। उन्होंने कहा प्रदेश की मनोहर लाल सरकार ने सबका साथ सबका विश्वास के साथ पिछले 9 सालों में मेवात में इतना विकास कराया जितना कांग्रेस 70 सालों में भी नहीं करा सकी। ’मुख्यमंत्री मनोहर लाल’ वीर भूमि मेवात क्षेत्र के नूंह जिले को विकास की राह पर ले जा रहे हैं। बीते नौ साल में नूंह जिले में सैंकडों स्कूलों को अपग्रेड व मॉडल स्कूल का दर्जा दिया गया। मेव युवाओं को ईमानदारी व पारदर्शिता से नौकरियां मिल रही हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों को नूंह क्षेत्र में उद्योग-धंधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जल्द ही मेवात से पिछड़ेपन का कलंक भाजपा सरकार मिटाकर रहेगी।
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