केएमपी मुंबई एक्सप्रेसवे पर एक साथ हुई दर्जनों गाड़ी खराब यातायात रहा प्रभावित।
– रात के समय में एनएचआई द्वारा नहीं की जाती पेट्रोलिंग मौके पर पहुंच ट्रैफिक पुलिस करती है मदत
– केएमपी हाईवे पर एनएचआई की और से नहीं है वाहन चालकों के लिए कोई भी सुविधा उपलब्ध।
– हाइवे पर न तो पेट्रोलिंग की सुविधा है और नहीं रात्रि के समय लाइट की सविधा
नसीम खान
तावडू,
उपमंडल से निकल रहे धुलावट के एमपी मुंबई एक्सप्रेसवे पर आए दिन जगह-जगह बड़ी गाड़ियां खराब खड़ी हुई देखी जा सकती है। और इस पर गाड़ी को खड़ी करना भी मना है लेकिन बीच रास्ते में जब गाड़ी ड्राइवर का साथ ना दे तो सड़क पर गाड़ी खड़ी करने पर ड्राइवर मजबूर हो जाता है। बुधवार को केएमपी थाना से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर झिरने की चढ़ाई पर जगह जगह 200 मीटर की दूरी पर 16 बड़ी गाड़ी खराब होने के कारण पूरे दिन यातायात बाधित रहा। इस दौरान कुछ गाड़ियों में डीजल तेल खत्म होने के कारण बंद हो गई तो कुछ गाड़ियां ऊंची चढ़ाई न चढ़ पाने के कारण अपना दम तोड़कर खराब हो गई यातायात को दुरुस्त करने के लिए केएमपी ट्रैफिक पुलिस द्वारा कई घंटे बाद मौके पर खराब कुछ गाड़ियों को तो सही करवा कर रवाना कर दिया गया तो कुछ गाड़ियों में डीजल तेल न होने के कारण उनके लिए मौके पर तेल मंगवाया गया तो वहीं कुछ गाड़ियां खराब हालत में थी तो उनके लिए मिस्त्री का प्रबंध किया गया। गौरतला ही की इस हाइवे पर एनएचआई विभाग की देख रेख की जिम्मेदारी है। लेकिन बावजूद इसके ने तो हाईवे पर सुचारू रूप से स्ट्रीट लाइट चालू कराई गई है और नए संबंधित विभाग द्वारा हाईवे पर कोई हाइड्रा व क्रेन की सुविधा उपलब्ध है यदि इस दौरान कोई गाड़ी पलट जाती है या फिर दुर्घटना हो जाती है तो वाहन चालक या फिर ट्रैफिक पुलिस ही हाइड्रा या क्रेन को बुलाकर काम को अंजाम देते हैं। वहीं कुछ ड्राइवर ने बताया कि निजी हाइड्रा व क्रेन वाले हमसे मुंह मांगी कीमत वसूलते हैं हमें मजबूरी में एक हजार रुपिए के पांच पांच हजार रूपिए देने पड़ते हैं। वही मिली जानकारी के मुताबिक रात के समय में कोई घटना घट जाती है तो संबंधित एनएचआई विभाग के एसडीओ व अन्य अधिकारी गण फोन तक नहीं उठाते हैं। रात भर केएमपी ट्रैफिक पुलिस ही ड्राइवर मिस्त्री व बनकर वाहन चालकों की मदद करती है। ऐसे में संबंधित विभाग को केएमपी हाईवे पर 24 घंटे पेट्रोलिंग करनी चाहिए ताकि समय रहते बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी समस्या का समा
धान हो सके।
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