“बुराइयों से पाक होने का महीना है माह-ए-रमजान “
यूनुस अलवी
नूह
हदीस व रसूल के मुताबिक इंसान गल्ती और भूल-चूक का मिश्रण माना जाता है। इसलिए सालभर में होने वाले धार्मिक और समाजिक कमी कोताहियों के बदले इंसान को अपने खुदा को राजी करने के लिए रमजानुल मुबारक जैसा पवित्र महीना दिया गया है। जिसकी एक-एक घड़ी बहुत कीमती है। इस महीने की कीमत उस हदीस पाक से भी आसानी से समझी जा सकती है। जिसमें यह जिक्र आता है कि एक नेकी के बदले में इस माह मुबारक में 70 नेकियां बंदे के नामा आमाल यानी आमाल के चैप्टर में लिख दी जाती हैं और नफिल का दर्जा फर्ज के बराबर कर दिया जाता है। उक्त बातें हाफिज हनीफ गौरवाल ने कही।
उन्होंने कहा कि हर ईमान वाले को चाहिए कि वह अपने आपको ज्यादा से ज्यादा नेक कामों में यानी याद ए खुदा में व्यस्त रखे और कुरआन करीम को ज्यादा से ज्यादा पढने. और नवाफिल व तरावीह की नमाज अदा करने में समय लगाएं। बगैर किसी मजहब और धर्म के देखे बगैर मानवता के आधार पर इसांनी हमदर्दी के नाते मदद करना जारी रखें। पीठ पीछे किसी की बुराई करने और किसी की आबरू- इज्जत पर हमला करने से बचें, गरीब, मिस्कीन पर जकात के अलावा भी जरूरत के मुताबिक खर्च करना चाहिए, पड़ोसी चाहे मुसलम हो या गैर-मुर्सलम सब के साथ अच्छा सलूक करना चाहिए। हाफिज हनीफ गौरवाल ने कहा कि तमाम किस्म की बुराइयों से अपने आपको हर लम्हा बचा कर रखना। इस तरह से जब हमारा रमजान का महीना गुजरेगा तो फिर साल के 12 महीना इस तरह से गुजारने के हम किसी हद तक आदि हो जाएंगे। इसलिए रमजान एक तरह से इंसान के नेक काम करने की तरबियत और ट्रेनिंग का जमाना और बेहतरीन सीजन है।
“इमाम मोहम्मद हनीफ फैजी गोरवाल जामा मस्जिद नारनौल सदर तंजीम आइमा ओकाफ हरियाणा”
Author: Khabarhaq
Post Views: 159
No Comment.