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मेवात में आज मनाया जाएगा ईद-उल-फित्र का त्योंहार, दुआओ के लिए उठेंगे करोड़ो हाथ

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मेवात में आज मनाया जाएगा ईद-उल-फित्र का त्योंहार, दुआओ के लिए उठेंगे करोड़ो हाथ
-ईद की नमाज से पहले लाखों लोग अदा करेंगे फित्र (दान)
-इलाके में शांति बनाये रखने को पुलिस विभाग अलर्ट

फोटो-पिनगवां बाजार में ईद के खरीददारी में जुटी भीड

यूनुस अलवी
मेवात/हरियाणा

अल्लाह इंसान के हर अच्छे काम का बदला फरिश्तों से दिलवाएगा लेकिन रोज़ा का बदला खुद अल्लाह देगा। इफ्तियार के वक्त जो दुआ मांगी जाती है उस वक्त अल्लाह अपने रोजेदार की दुआ कबूल करता है। तीस दिन तक भूखे प्यासे रहकर रोजा रखने वाले ईद के दिन 2 रकाअत नमाज अदा कर अल्लाह का शुक्र अदा करते है।  अल्लाह जहां रोजों में इफ्तियार के वक्त 10 लाख गुनाहगारों को जहन्नुम ने निकलता है वही ईद के दिन 30 लाख जहन्नुमियो को जन्नत में दाखिल करता है। काफी समय के बाद लोगों को रमजान माह में 30 रोजे रखने का मौका मिला। चांद देखने के बाद लोगों ने ईद की नमाज पढने से पहले गरीब और यतीम लोगो को फित्र अदा करना शुरू कर दिया है। मंगलवार को ईद की नमाज नूंह जिला के पुन्हाना, नूंह, तावडू, फिरोजपुर झिरका, पिनगवां और नगीना कस्बों सहित बडे गांवों की ईदगाहों व जामा मस्जिदों में अदा की जाऐगी। ईद की पूर्व संध्या पर बाजारों में रोकन देखी गई। लोगों ने अपने घरों में पकवान बनाने के लिए चीनी, चूरा, घी, दूध, चावल आदि खरीदा। आज रेडीमेड, किराना स्टोर और दर्जी की दुकानों पर भारी भीड रही।


आप को बता दें कि रमाजन माह का चांद देखने के बाद मुस्लिम समाज के लोग रोजा रखते हैं और ईद का चांद देखने के बाद ही ईद मनाई जाती है। काफी समय बाद लोगों ने 30 रोजे रखे क्योंकि अक्सर 29वां चांद नजर आने की वजह से पूरी 30 रोजे नहीं हो पाते थे। सोमवार को चांद नजर आया जिसकी वजह से 3 मई को पूरे मेवात इलाके में ईद मनाई जा रही है।
ईद के दिन महिलायें सुबह से ही नये-नये पकवान बनाने में लग जाती है और बुजुर्ग, बच्चे और नोजवान सभी नये कपडे पहकर गावों की जामा मस्जिद या ईगाह में रोजा रखने के बाद अल्लाह का षुक्र अदा करने के लिए ईद की दो रकात नमाज अदा करने जाते है। यह नमाज सुबह सात बजे से दस बजे तक अलग-अलग समय पर ईदगाहों में अदा की जाती है। ईद की नमाज अदा करने से पहले लोग गरीब और यतीमों को दिये जाने वाले फित्रा को अदा करते हैं।
इसलाम धर्म में फित्र को अदा करने के सख्त आदेश दिये गये हैं। उलेमा बताते हैं कि फित्रा ईद की नमाज अदा करने से पहले अदा करना अफजल है अगर किसी कारण ईद की नमाज से पहले कोई फित्रा अदा नहीं करता है कि उसको जितना जल्दी हो सके फित्रा अदा कर देना चाहिये।
मोलाना याहया करीमी का कहना है कि गरीब से गरीब आदमी भी ईद के मौके पर अपनी खुशी मना सके इसके लिए इस्लाम धर्म में लोगों को फित्रा अदा करने का हुक्म दिया है। छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग पर पौने दो किलो गेंहू अदा करना होता है। इसे घर के मुखिया अदा करता है। फित्रा गरीब, यतीम और बेसहारा लोगों का हक है। उसे हर हाल में अदा करना होता है। जो आदमी उनका हक अदा नहीं करता वह गुनाहगार होता है।
ईद की त्यारियों में लोग करीब एक महिना पहले से ही जुट जाते हैं। लोग, बच्चे, बूढे और महिलायें सभी नये कपडे पहनते हैं। ईद-उल-फित्र को मीठी ईद भी कहते हैं क्योंकि इस दिन लोग मीठी सिमईयां घरों में बनातें हैं और दोस्त, पडौसी और गरीब बेसहारा लोगों को सिमईयां खिलाते हैं। मेवात में ईद के मौके सिमईयां की जगह ज्यादातर लोग खीर बनाते हैं। अमीर लोग सिमईयां बनाते हैं।

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