वृद्धावस्था पेंशन के बनवाने के नाम पर दलालों द्वारा ठगे जा रहे बुजुर्ग।
कृष्ण आर्य,
पुन्हाना,
बुजुर्गों को पेंशन बनवाने के लिए किसी भी कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़े और न हीं पेंशन बनवाने के खातिर रिश्वत देनी पड़े इसके लिए प्रदेश सरकार बुजुर्गों की पेंशन बनाने के लिए भले हीं नई योजनाएं लागू करके पूरी तरह पारदर्शिता लाने का प्रयास कर रही हो, लेकिन सरकार की योजनाओं को पलीता लगाने में दलाल प्रवृति के लोग एक कदम आगे है, जो संबंधित विभाग अधिकारियों और कर्मचारियों की बिना साठ गांठ के बुर्जुगों को ठगने का काम कर रहे है। सरकार द्वारा बुजुर्गो को दी जाने वाली लगभग तीन हजार रुपये की पेंशन भले हीं बुजुर्गों के जीवन यापन के लिए मुख्य औषधि का काम कर रही हो, लेकिन पैंशन बनाने के नाम पर सक्रिय दलालों द्वारा बुजुर्गों से पेंशन बनाने के नाम पर तीन से चार हजार रुपये या पहली पैंशन लेने का काम किया जा रहा है। जबकि दलालों का कार्य केवल इतना हीं है कि वे सरकार और प्रशासन द्वारा बुजुर्गों की पेंशन बनने वाली लिस्ट में से उन पेंशनधारियों को फोन करके उनकी पेंशन बनवाने का झांसा देते है और उनके साथ ठगी करते है। जबकि वास्तविकता ये है कि सरकार द्वारा नगरपालिका और पंचायत क्षेत्रों में पीपीपी शिविरों के माध्यम से पेंशन के पात्र बुजुर्गो के आयु संबंधित दस्तावेजों को सत्यापन कराया जाता है। उसी के द्वारा सरकार और प्रशासन द्वारा पेंशन धारियों की सूची जारी की जाती है। सूत्र बताते है कि सरकार द्वारा आने वाली लिस्ट को कार्यालय से दलाल प्रवृति के लोगों को वितरित की जाती है जो शहरी क्षेत्र के साथ साथ गांवों में भी पूरी तरह सक्रिय है। लिस्ट में नाम और मोबाईल नम्बर के माध्यम से दलाल उस बुजुर्ग से संपर्क करता है और उसकी पेंशन जल्दी बनवाने के नाम पर उनसे ठगी की जाती है। दलालों द्वारा ठगने के बाद बुर्जुग पैंशन कटने के डर से शिकायत तक नहीं करते।
आपको बता दें कि सरकार द्वारा बुजुर्गो को मान सम्मान के रूप में दी जाने पैंशन को आते हीं बुजुर्गों के चेहरे पर रौनक दौड़ आती है। पहले लोग अपनी पेंशन बनवाने के लिए दलालों का सहारा लेते थे। जिसमें दलालों द्वारा काफी हद तक कम उम्र के लोगों के फर्जी दस्तावेजों को दर्शाकर उनकी पेंशन बनवा देते थे। लेकिन प्रदेश सरकार ने बुजुर्गों की बनने वाली पेंशन में भ्रष्टाचार और दलाली पर अंकुश लगाने के लिहाज से पैंशन बनाने में पारदर्शिता लाने के लिए नगर पालिका और ग्रामीण क्षेत्रों में पीपीपी शिविर के माध्यम से दस्तावेजों में आयु सत्यापन कराई जाती है। जिसके माध्यम से हीं पात्र पैंशन उपभोक्ताओं की पैंशन के लिए लिस्ट जारी की जाती है। लेकिन पारदर्शिता कार्य में भी दलालों द्वारा बुजुर्गों के साथ ठगी करके सरकार की योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि आयु सत्यापन के बाद जारी होने वाली पेंशन लिस्ट को संबंधित विभाग के कर्मचारियों की सांठगांठ से दलालों को वितरित कर दिया जाता है।
जिसमें सक्रिय दलाल उन बुजुर्गो को फोन पर संपर्क कर बतलाते है कि आपको पेंशन बनवानी है क्या। अगर बनाना है तो पहली पेंशन या हमें तीन हजार रूपये नकद देने होगें। पेंशन बनवाने के लिए बुजुर्ग उनको पैंशन देने या नकद रूपये देने को तैयार हो जाता है। ऐसा एकाध नहीं अधिकांश नए पैंशनधारक इनकी चपेट में आ रहे है। नाम नहीं छापने की शर्त पर बुजुर्गों ने बताया कि वे अपनी पैंशन बनवाने के लिए काफी समय से इंतजार कर रहे थे, एक दिन उनके फोन पर कॉल आई और उनसे पेंशन बनवाने के लिए बोला गया। जिसमें पहली पेंशन उन्हें देने की शर्त पर पेंशन बनवाने की बात कहीं गई तथा किसी के पूछने पर पेंशन बाद में कट जाने के लिए भी कहा गया।जिसके लिए उन्होंने उसकी बातों के अनुसार तय कर लिया और उनकी पेंशन बन गई। पेंशन बनने के बाद उन्होंने पहली पेंशन राशि उस व्यक्ति को दे भी दी।
वहीं इस बारे में जब जिला समाज कल्याण अधिकारी जितेन्द्र से बात की तो उन्होंने बताया कि अगर किसी बुर्जुग से दलालों द्वारा पैसे लिए गए है तो वो लिखित शिकायत दें ताकि ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाए।
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