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तब्लीगी जमात की बुनियादी सरजमी मेवात से सऊदी मंत्री के खिलाफ उठी आवाज़

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तब्लीगी जमात की छवि को खराब करने की कोशिश है साउदी अरब के मंत्री का ब्यान
– जमीयत उलेमा-ए-हिंद तब्लीगी जमात की छवि को साफ रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है.
-’योम-उल-तबलीग वा-दावा’ के नाम से जुमा को मनाया जायेगा
-1926 में तब्लीगी जमात की मेवात में स्थापना हुई थी

यूनुस अलवी
मेवात-हरियाणा
तब्लीगी जमात का मेवात से खास लगाव है, पूरी दुनिया में आज मेवात को तब्लीग की षुरूआत करने वालों की कुर्बानी से जाना जाता हैं, देष और दुनिया का हर वो आदमी जो तब्लीग से जुडा है वह एक बार मेवात को आकर देखने की तमन्ना रखता है। मरहूम मोलाना मोहम्मद इलयास रह0 ने तब्लीग जमात की 1926 में दिल्ली की निजामुद्दीन दरगाह के नजदीक छप्पर वाली मस्जिद (मौजूदा तब्लीग जमात कर मर्कज) में स्थापना की थी। मोलाना इलयास रह0 ने सबसे पहले तब्लीग जमात से मेवातियों को जोड़ा था। तब्लीग जमात में 8 से 20 सदस्य गांव-गांव जाकर गावों की मस्जिदों और मदरसों में जाकर उसके ऐतराफ में रहने वाले मुसलमानों को मज़हबी तौर पर रहने, नमाज, रोजा, अखलाक, पाकी-नापाकी हलाल हराम खाना पीने आदि के तरीके को बताता है. खासतौर पर ड्रेसिंग, व्यक्तिगत व्यवहार और अनुष्ठानों के संबंध में तब्लीगी जमात के दुनियाभर में 40 करोड़ के करीब अनुसरण करने वाले लोग होने का अनुमान है।
साउदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री डा अब्दुल लतीफ अल अलषेख ने मस्जिदों के इमामों और मस्जिदों को निर्देश दिया कि जुमा की नमाज़ तबलीगी जमात और दावा (दावत) (दोनों का मुशतर्का नाम ‘अल अहबाब) से लोगों को चेताएं। मंत्री डॉ. अब्दुल लतीफ़ ने कहा इमाम इनकी गड़बड़ियां और बिदअत के साथ साथ यह भी बताएं कि ये कुछ कहें मगर टेररिज्म फैलाने वाला यह पहला दरवाज़ा है। इस्लामिक मामलों के मंत्रालय की ओर से चार निर्देश दिये गये हैं, जो निम्नलिखित हैं-

1-इस समूह के पथभ्रष्टता, विचलन और खतरे की घोषणा, और यह कि यह आतंकवाद के द्वारों में से एक है, भले ही वे कुछ दावा करें।

2- उनकी सबसे प्रमुख गलतियों का उल्लेख करें।

3- समाज के लिए उनके खतरे का उल्लेख करें।

4- यह कथन कि सऊदी अरब साम्राज्य में (तब्लीगी और दावा समूह) सहित पक्षपातपूर्ण समूहों के साथ संबद्धता निषिद्ध है।

तब्लीगी जमात की छवि को खराब करने की कोशिश है

जमीयत उलेमा-ए-मुत्ताहिदा पंजाब के नाजिम-ए-अला और जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यसमिति के सदस्य मोलाना मुहम्मद याहया करीमी का कहना है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद तब्लीगी जमात की छवि को साफ रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है- तब्लीगी जमात के खिलाफ सऊदी अरब की ओर से जारी बयान दुनिया में तब्लीगी जमात की छवि खराब करने की कोशिश है, जिस से साफ पता चलता है की सऊदी हुकूमत तब्लीगी जमात के बारे में सच्चाई नहीं जानती।

’योम-उल-तबलीग वा-दावा’ के नाम से मनाने का आग्रह

जमीयत उलेमा-ए-मुत्ताहिदा पंजाब के नाजिम-ए-अला और जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यसमिति के सदस्य मोलाना मुहम्मद याहया करीमी का कहना है कि जमीयत उलेमा-ए-मुत्ताहिदा पंजाब क्षेत्र के सभी मस्जिदों के इमामों और उलामा ए इकराम से अगले जुमा को ’योम-उल-तबलीग वा-दावा’ के नाम से मनाने का आग्रह करता है। उन्होने कहा साउदी अरब के मंत्री तब्लीगी जमात के इतिहास और बलिदानों का अध्ययन करें और तब्लीगी जमात की गतिविधियों के बारे में लोगों को सूचित करके अपनी जिम्मेदारी को पूरा करें जो शांति और व्यवस्था से भरे और प्यार और स्नेह से भरे हुए हैं।

ऐसे प्रतिबंध साउदी अरब 1980 में भी लगा चुकी है

मुफ्ती जाहिद हुसैन नूंह ने कहा कि साउदी अरब की यह हरकत कोई पहली नहीं है बल्कि वह 1980 में भी ऐसे प्रतिबंध पहले भी लगा चुकी है। हमें उनकी बातों पर कोई गौर नहीं देना चाहिए बल्कि हमें अपनी इमानदारी, लगन, दीन और देष प्रेम के साथ तब्लीग का कार्य करते रहने चाहिए क्योंकि तब्लीगी जमात को सियायत और दुनिया की बातो से कोई लेना देना नहीं होता बल्कि तब्लीग जमात से जुडे लोग केवल मुसलमानों को दीन की बातें सीखते और सिखाते हैं।

तबलिगी जमात पर सऊदी अरब की तरफ से लगाए गए संगीन आरोप बे बुनियाद

मौलाना साबिर कासमी मेवाती ने कहा कि तब्लीगी जमात के राष्ट इस्लामी दुनिया सऊदी हुक्मरानों की यहूदियों से करीबी रिश्तों के बाद तेजी से बदलती हुई गैर इस्लामिक कार्यशैली को समझें।
उन्होने कहा सऊदी अरब द्वारा किसी जमाअत पर पाबंदी लगाना कोई नई बात नहीं है लेकिन कार ए नबूवत को बे गर्ज और बे लोस हो कर अंजाम देने वाली तब्लीगी जमाअत जैसी सीधी सादी खामोशी से इस्लाम धर्म के शांती संदेश प्रचार का काम करती आई है यह जमात दुनिया मे इस्लाम धर्म के पेगम्बर की फिक्रो को लेकर फिरने वाली जमाअत पर आतंकवाद जेसे मामले को बढ़ावा देने और अन्य घिनौने इल्ज़ाम के बहाने पाबंदी लगाना न केवल निंदनीय है बल्कि इस्लाम की रुह के भी खिलाफ है!
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के इस तरह के बयान से भारतीय मुस्लिमों की जहां परेशानी में इजाफा होने का अंदेशा बड गया है वहीं विश्व स्तर पर तबलिगी जमात को निशाना बनाने का सऊदी अरब ने इस्लाम फोबिया से ग्रस्त लोगों के लिए मुख्य अवसर प्रदान कर दिया है।
उन्होंने कहा कि अब से पहले भी सऊदी हुकूमत की गैर इस्लामी पॉलीसीज़ और कार्यशैली के विरोधी हज़ारों हक परस्त उलमा-ए-किराम को सलाखों के पीछे डाल दिया गया है और कइयों को तख्ता-ए-दार तक पहुंचाया गया है, बल्कि भूतकाल में इस्लामी इंकलाब की प्रतीक बना-इख्वानुल मुस्लीमीनष् समेत बहुत से उलमा-ए-किराम की किताबों पर पाबंदी शाह सलमान की डिक्टेटरशिप को दर्शाती है! सऊदी अरब ने खिलाफत से बादशाहत तक सफर तै किया और अब बादशाहत से डिक्टेटरशिप (तानाशाही) की तरफ गतिशील है!
आतंकवाद एक नाकाबिल-ए-माफी जुर्म है, जिसके वास्तविक जिम्मेदार सुपर पावर्स हैं लेकिन झूठे इल्ज़ाम लगाना भी इस जुर्म से कम नहीं!
यकीनन सऊदी अरब इस्लामी हुदूद (सज़ाओं) पर अमल करने वाला अकेला देश रहा है, हज जैसी इबादत के लिए उनके द्वारा दी गई सुविधाएं काबिल-ए-तारीफ हैं लेकिन अब उनकी इस्लाम विरोधी लगातार पॉलीसीज़ चिंता जनक हैं, यहां तक कि इमाम-ए-काबा भी वही खुत्बा देने के लिए बाध्य है जो हुकूमत की जानिब से थमा दिया जाता है, आलम-ए-इस्लाम में धूमिल होती सऊदी अरब की छवि खुद इनके नकारात्मक रवैये का परिणाम है क्योंकि सऊदी हुकूमत की इज़हार-ए-राय की आजादी में वही पॉलीसी है जो हमारे देश में बीजेपी हुकूमत की है।
उन्होने कहा साउदी अरब मंत्री के निर्देशों में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि सऊदी अरब सरकार ने तब्लीग़ी जमात को प्रतिबंधित कर दिया है। हालांकि सऊदी सरकार ने तब्लीग़ी जमात को आतंकवाद का द्वार जरूर बताया है लेकिन उसे प्रतिबंधित करने का कोई उल्लेख नहीं है, इसलिये यह कहना कि सऊदी सरकार ने तब्लीग़ी जमात को प्रतिबंधित कर दिया है, यह दावा भ्रामक और मनघड़ंत है।

 

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