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मेवात की 325 ग्राम पंचायतों में से 164 गावो के पूर्व सरपंचों के गबन के कार्यों की हो रही हैं जांच, पूरे हरियाणा में 1490 पूर्व सरपंच गबन की जांच के घेरे में

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मेवात की 325 ग्राम पंचायतों में से 164 गावो के पूर्व सरपंचों के गबन के कार्यों की हो रही हैं जांच, पूरे हरियाणा में 1490 पूर्व सरपंच गबन की जांच के घेरे में

हरियाणा के 1490 पूर्व सरपंच गबन की जांच के घेरे में

वित्तीय शक्तियों का गलत प्रयोग करने का है आरोप

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चंडीगढ़।

हरियाणा की ग्राम पंचायत संस्थाओं में पिछले 5 से 7 साल खूब गड़बड़ी चली है। प्रदेश के 1490 पूर्व संरपचों के खिलाफ विकास एवं पंचायत विभाग में गवन और गड़बड़ी की जांच चल रही है। करोड़ों रुपये के गबन मामले की जांच विभाग की विजिलेंस विंग कर रही है। इनमे सबसे ज्यादा मेवात की 325 ग्राम पंचायतों में से 164 गांव के पूर्व सरपंचों के गबन की जांच चल रही हे। दूसरी तरफ सरपंच etendring का विरोध कर रहे हैं।

आरोप है कि इन गबन के मामलों में पंचायती राज संस्थाओं के निचले स्तर से लेकर अन्य अधिकारी भी संलिप्त हैं। अब विजिलेंस विंग ने अपनी जांच तेज कर ही है और पूर्व सरपंचों के पसीने छूटने लगे हैं।

विकास एवं पंचायत विभाग की विजिलेंस विंग के आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक गड़बड़ी के मामले नूंह जिले में 164 और करनाल जिले की 94 पूर्व ग्राम पंचायतें शामिल हैं। वहीं, सबसे कम गड़बड़ी की शिकायतें गुरुग्राम में 27 और पंचकूला में 14 मामले हैं। शिकायतों की समीक्षा में पाया गया है कि पूर्व सरपंचों पर वित्तीय शक्तियों के गलत प्रयोग करने के आरोप हैं। इन गड़बड़ियों में ग्राम सचिव, जेई, एसडीओ से लेकर अन्य अधिकारियों की मिलीभगत के भी आरोप हैं।

पूर्व सरपंचों पर ये हैं आरोप

पूर्व ग्राम पंचायतों पर आरोप हैं कि उन्होंने निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का प्रयोग किया और राशि का गबन किया। इसके अलावा, चेहतों को ग्राम पंचायतों की जमीनों पर कब्जे कराने, बिना काम किए ही राशि का गबन करने समेत अन्य आरोप हैं। कई शिकायतों में अधिकारियों के नामों की भी जिक्र है क्योंकि अकेले सरपंच या पंचायत गवन नहीं कर सकती। निमार्ण कार्यों की गुणवत्ता समेत अन्य कार्यों को जांचने की जिम्मेदारी जेई और पंचायती राज अधिकारियों की है। इसलिए ये अधिकारी भी जांच के घेरे में हैं।

ई-टेंडरिंग का कर रहे हैं विरोध

पिछली पंचायतों में सरपंचों के पास वित्तीय शक्तियां थी, लेकिन इस बार सरकार ने 2 लाख रुपये से अधिक राशि के कार्यों का ई टेंडरिंग कराने का फैसला लिया है। सरपंच इसका विरोध कर रहे हैं, जबकि सरकार इसे लागू करना चाहती है। सरकार का तर्क है कि पहले मेनुअली कार्यों में गड़बड़ी अधिक होती थी।


हरियाणा सरकार पंचायतों में पारदर्शिता लाने और विकास कार्यों में गुणवत्ता लाने के लिए ई-टेंडरिंग पॉलिसी लेकर आई है। इससे सरपंच विकास कार्यों की निगरानी कर सकेंगे और हर कार्य के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है। सरपंचों को ई टेंडरिंग को अपनाना चाहिए। जहां तक पुरानी जांचों की बात हैं, इनकी जांच कराए जा रही है, इसमें जो भी दोषी होगा, उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

देवेंद्र बबली, विकास एवं पंचायत मंत्री । –

करनाल- नूंह में सबसे ज्यादा मामले

जिला शिकायतें

नूंह 162

करनाल 94

हिसार 84

झज्जर 80

जींद 84

रेवाड़ी 83

पलवल 82

पानीपत 82

कैथल 71

कुरुक्षेत्र 61

महेंद्रगढ़ 54

चरखी दादरी 76

यमुनानगर 71

अंबाला 64

फरीदाबाद 56

सिरसा 58

सोनीपत 52

फतेहाबाद 49

भिवानी 46

रोहतक 40

गुरुग्राम 27

पंचकूला 14
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कुल 1490

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Author: Khabarhaq

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