एडवोकेट असद हयात का इंतकाल – न्याय की लड़ाई लड़ने वाला एक मजबूत आवाज़ खामोश
• पहलू खान मॉब लिंचिंग केस से लेकर साहिब हत्याकांड, डिग्रहेडी डबल मर्डर, डबल गैंग रेप कांड, घाटमिका के नासिर – जुनेद हत्याकांड, आसिफ खेड़ा खलीलपुर हत्याकांड में मजबूती से पैरवी की
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यूनुस अलवी,
मेवात/अलवर
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देशभर में मॉब लिंचिंग के पीड़ितों के हक की कानूनी लड़ाई लड़ने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता जनाब असद हयात साहब का इंतकाल हो गया। उनके निधन की खबर सुनकर पूरे कानूनी और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। पहलू खान, रकबर खान, साहिब हत्याकांड, डिग्रहेडी डबल मर्डर, डबल गैंग रेप कांड, घाटमिका के नासिर – जुनेद हत्याकांड, आसिफ खेड़ा खलीलपुर हत्याकांड, सहित देश के कई अन्य पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिलाने वाले इस निडर वकील की कमी को शायद ही भरा जा सके।
मजलूमों की आवाज थे असद हयात
उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर निवासी असद हयात साहब एक जाने-माने आपराधिक वकील थे, जिन्होंने विशेष रूप से नफरत से प्रेरित अपराधों और मॉब लिंचिंग के मामलों में पीड़ित परिवारों की ओर से पैरवी की। उन्होंने राजस्थान के अलवर जिले में हुए पहलू खान मॉब लिंचिंग केस से लेकर साहिब हत्याकांड, डिग्रहेडी डबल मर्डर, डबल गैंग रेप कांड, घाटमिका के नासिर – जुनेद हत्याकांड, आसिफ खेड़ा खलीलपुर हत्याकांड में मजबूती से पैरवी की और कानूनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। उनका संघर्ष सिर्फ अदालत तक सीमित नहीं था। वे पीड़ितों को कानूनी सहायता देने के अलावा उनकी सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए भी आगे रहते थे। सितंबर 2018 में, जब वह पहलू खान केस के गवाहों को अदालत में पेश कराने के लिए ले जा रहे थे, तब अज्ञात लोगों ने उन पर हमला भी किया। लेकिन उन्होंने इन धमकियों को दरकिनार कर अपना संघर्ष जारी रखा।
मॉब लिंचिंग के खिलाफ विशेष कानून की मांग
एडवोकेट असद हयात साहब ने मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एक विशेष कानून बनाने की मांग की थी। उनका मानना था कि मौजूदा भारतीय कानूनों में भीड़ द्वारा की जाने वाली हत्याओं को रोकने के लिए स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं। उन्होंने मांग की थी कि ऐसे मामलों में मूक दर्शकों और उन लोगों को भी दोषी माना जाए जो अपराध को बढ़ावा देते हैं। आज देख जाए तो उनकी ही मांग का असर है कि जो देश में मोबलिंचिंग के खिलाफ कानून बना है।
मौत की खबर से मेवात और कानूनी जगत में शोक
उनके निधन की खबर से पूरे मेवात और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। मेव पंचायत अलवर के संरक्षक शेर मोहम्मद ने कहा,“असद हयात कोई मामूली आदमी नहीं थे। उन्होंने मजलूमों के हक की लड़ाई लड़ी, लेकिन अफसोस कि हमारे समाज में अच्छे लोगों की कदर नहीं होती। अब उनकी जगह लेने वाला शायद ही कोई हो।”
मोहम्मद क़ासिम मेवाती ने कहा,“जब भी देश में कहीं अल्पसंख्यक समुदाय पर अन्याय होता, एडवोकेट असद हयात वहां पहुंच जाते और कानूनी कार्रवाई शुरू करते। उनका जाना बहुत बड़ी क्षति है।”
मेवात विकास सभा के पूर्व अध्यक्ष दीन मोहम्मद मामलिका ने कहा, “असद हयात साहब ने अपनी पूरी जिंदगी अन्याय के खिलाफ लड़ाई में लगा दी। उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता।”
एडवोकेट नूरदीन नूर ने कहा की क़ानूनी लड़ाई का महान यौद्धा असद हयात साहब अब हमारे बीच नहीं।, उनकी कभी समाज के कमजोर वर्गों को सताती रहेगी।
जिला पार्षद एवं मेवात विकास सभा के पूर्व अध्यक्ष उमर मोहम्मद पाड़ला ने कहा, “उन्होंने गरीबों, मजलूमों और दबे-कुचले लोगों को न्याय दिलाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी। उनकी मौत से एक युग का अंत हो गया है।”
पूर्व जिला पार्षद एवं देश रोजाना के मेवात ब्यूरो चीफ यूनुस अलवी का कहना है कि एडवोकेट असद हयात एक सुलझे हुए वकील के साथ साथ सामाजिक व्यक्ति थे। हरियाणा, राजस्थान सहित जहां भी मोबलिंचिग की घटना होने और उनकी पैरवी की अपडेट हमें अक्सर भेजते रहते थे। लेकिन उनके जाने के बाद अब हम शायद ही किसी मामले की अपडेट जनता तक पहुंचा सकेंगे। उनकी कमी मीडिया को भी खासी खेलेगी।
हमेशा याद किया जाएगा असद हयात का योगदान
एडवोकेट असद हयात ने सिर्फ कानूनी लड़ाइयां नहीं लड़ीं, बल्कि उन्होंने समाज को न्याय और हक के लिए जागरूक भी किया। उनका नाम उन लोगों में शुमार रहेगा जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना इंसाफ के लिए संघर्ष किया।
अल्लाह तआला से दुआ है कि असद हयात साहब को जन्नतुल फिरदौस में आला मकाम अता फरमाए और उनके परिवार को इस मुश्किल घड़ी में सब्र दे। उनकी कमी को शायद ही कभी पूरा किया जा सके।

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