मेवात की बेटियों के लिए प्रेरणादायक बनी दो सहेलियां
फोटो दोनों सहेलियों का एक साथ फोटो
यूनुस अलवी,
मेवात/हरियाणा
एक समय ऐसा था जब मेवात में बेटियों का शिक्षा दर 5 फीसदी से भी कम था लेकिन आज मेवात की बेटियां हर क्षेत्र में लड़कों से बेहतर मुकाम हासिल कर रही है। आज मेवात की बेटियां अध्यापक से लेकर जज तक बन रही है। हाल ही में हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन द्वारा जारी किए गए टीजीटी भर्ती परिणाम में लड़कों के साथ इस बार मेवात की बेटियां ने भी कमल के दिखाया है। इस टीजीटी भर्ती में जहां अकेले बिसरू गांव से चार बेटियों ने बाजी मारी वही जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पढ़ी दो सहेलियों ने टीजीटी की परीक्षा एक साथ पास कर मेवात की बेटियों के लिए प्रेरणादायक बन गई है। भले ही ये सहेलियों अलग अलग गांवों से ताल्लुक रखती हैं लेकिन जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में एक साथ पढ़ी और गहरी दोस्त भी बन गई। दोनों ने ये ठाणा वे एक भी विभाग में नौकरी करेंगी। आज उनकी ये तमन्ना भी पूरी हो गई। दोनों सहेलियां बेहद खुश हैं। ये दोनों सहेलियां जमालगढ़ गांव से मुब्सशिरा कौशल और घासेड़ा गांव से ताल्लुक रखने वाली राशिदा तैयब है। इन दोनो बेटियों का हरियाण टी जी टी उर्दू मे एक साथ चयन हुआ है। उनकी इस कामयाबी पर लोगों ने उन्हें बहुत बधाई और मुबारकबाद दी है।
आपको बता दे कि मुब्सशिरा मेवात की बड़ी शख्सियत आली जनाब इलियास नदवी जमालगढ़ मदरसा की पोती है। आली जनाब मौलाना इलियास नदवी गांव आकेड़ा के सरपंच भी रहे थे। वह
मेवात के पहले नदवी थे तथा इल्म के समुद्र थे। उन्होंने आलिम यानी मौलवी होते हुए भी दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए और एमए की डिग्री हासिल की थी।
वही दोनों सहेलियों
मुब्सशिरा और राशिदा तैयब का कहना है कि वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पढ़ी है। मेवात मे लड़कियों की शिक्षा और स्कूलों की बुरी हालत पर काम करने का इरादा है। दोनो का कहना है कि वे मेवात की शिक्षा मे पिछडी हुई हालत को बेहतर बनाने की कोशिश करेंगी। अपने फर्ज़ को ईमानदारी के साथ निभाएंगी।
मुब्सशिरा और राशिदा तैयब का कहना है कि मेवात में आज भी देहात की बेटियों की शिक्षा दर देनिये है। उनका विजन होगा कि लड़कियों के परिजनों से बात कर उनको उच्च शिक्षा दिलाई जाए। मेवात में अधिकतर बेटियां 5 वीं, आठवीं, दसवीं और बारहवीं के बाद पढ़ाई छोड़ देती है। कॉलेज तक एक फीसदी भी लड़कियां नहीं पहुंच पाती हैं। उनका कहना है कि बेटियों को पढ़ना बेहद जरूरी है क्योंकि एक बेटी के पड़ जाने से उसके मायके और ससुराल दोनो फायदा उठाते हैं। अगर लड़की पढ़ी लिखी होगी तो वह अपने बच्चों को बचपन से ही शिक्षा देना शुरू कर देगी। जमाना अब बहुत आगे निकल गया है। अनपढ़ बेटियों की तो अब शादी होने में भी बड़ी परेशानी होती है। एक अनपढ़ लड़की गांव पंच तक नहीं बन सकती है जबकि पढ़ी लिखी लड़की पंच, सरपंच, जिला पार्षद, जिला प्रमुख और पंचायत समिति वे नगर पालिका वो नगर निगम की चेयर पर्सन बन रही है।

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