रकबर मोब लिंचिंग केस में 4 आरोपियों को 7-7 वर्ष की सज़ा दिया जाना क्यों कम है —–
वरिष्ठ एडवोकेट असद हयात ने बताई वजह
यह केस मोब लिंचिंग का है.
तहसीन पूनावाला केस में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने : (2018) 9 SCC 501 : AIR 2018 SC 3354 ने आदेश दिया है कि मोब लिंचिंग के केस में जिस सेक्शन के अंतर्गत जुर्म होना पाया जाए तो उसमें जो अधिकतम सज़ा निर्धारित की गयी है, वही आरोपी को दी जाए.
माननीय सेशन कोर्ट ने 4 आरोपियों को सेक्शन 304 भाग 1 के अंतर्गत दोषी पाया जिसमें अधिकतम सज़ा आजीवन कारावास है. इस लिए इस मामले में आजीवन कारावास होना चाहिए थी
मोब लिंचिंग के मामले में 5 या उससे अधिक लोगों के समूह को ” मोब ” माना जाता है. इस केस में असलम PW8 ने अपने बयान में कहा कि उनको 6-7 लोगों ने आकर घेर लिया और मारपीट की. मोहन सिंह ASI PW 6 ने भी बयान में कहा है कि चार आदमी धर्मेन्द्र, परमजीत सरदार, विजय शर्मा और नरेश कुमार खड़े मिले. उनकी FIR में कुछ लोगों के भाग जाने का उल्लेख है. एक आरोपी सुरेश के विरुद्ध चार्ज शीट नहीं आयी. इस से स्पष्ट है कि नवल किशोर के अतिरिक्त घटना स्थल पर 6-7 लोगों ने असलम और मृतक रकबर को पीटा था.
मोब के लिए यह आवश्यक नहीं कि सभी की पहचान हो जाए. कुछ लोग अज्ञात भी होते हैं लेकिन उन सब की संख्या 5 या उससे अधिक होनी चाहिए जो इस केस में साबित हो रहा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की रोशनी में अधिकतम सज़ा आजीवन कारावास होना चाहिए थी लेकिन माननीय अदालत ने नरम व्याख्या करते हुए 7-7 साल की सज़ा सुनाई जो कि नाकाफी है.
रकबर की 6 पसली टूटी हुई थीं और कुछ अन्य हड्डी भी टूटी हुई थीं. कुल 13 चोटें पायी गयीं. डंडो से पिटाई करते हुए और पसली तोडना साबित करता है कि हत्या कारित करने का इरादा था.
इसलिए हाई कोर्ट में सज़ा बढ़ाने और आजीवन कारावास करने के लिए अपील की जानी चाहिए.
(2) नवल किशोर को बरी किया जाना
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आपराधिक षड्यंत्र का सीधा साक्ष्य उपलब्ध आमतौर पर नहीं होता. नवल किशोर सहित नरेश, धर्मेंद्र, परमजीत और विजय सभी गौ रक्षा दल से जुड़े हैं. सभी एक योजना बना कर घटना को अंजाम दिया. आरोपी गण के अनुसार उन्होंने मौका वारदात से नवल किशोर को सूचना फ़ोन पर दी मगर पुलिस को नहीं दी. इस से स्पष्ट है कि एक नीयत के साथ एक समूह में गौ रक्षा अभियान के तहत कार्य किया गया.लेकिन असलम PW8 ने अपने अदालती बयान में कहा कि…. “उन्होंने कहा कि इतने दो चार नहीं मरेंगे तब तक यह नहीं मानेंगे और कहा कि इस साले को मार दो “….”‘वे कह रहे थे कि यह नहीं मानेंगे तो ऐसे ही मरेंगे, विधायक हमारे साथ है और विधायक ने कह रखी है कि तुम दो चार को मार दो तभी समझेंगे “….” फिर उनमें से एक बोला कि इसका काम कर दिया, नवल किशोर अब पुलिस को फ़ोन कर. उसने कहा कि मेरा फ़ोन तो घर रह गया मैं जाकर फ़ोन को लेने जाता हूँ और पुलिस को थाने से लेकर आता हूँ तुम सब यहीं रहना, कही मत जाना…. फिर कहा नवल किशोर तूने यह बहुत मारा है…. इतने तीन चार नहीं मरेंगे इतने ऐसे ही मारूंगा ”
नवल किशोर की गिरफ़्तारी के बाद गवाह ने उसकी जेल में मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शनाख्त की है.
काफ़ी कुछ सामिग्री पर विचार नहीं किया गया जो नवल किशोर की दोष सिद्धि के लिए पर्याप्त थी
असद हयात वरिष्ठ एडवोकेट हाईकोर्ट

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